कोई तो बात उठे...
रुला- रुला के गए दोस्त हँसाने वाले
लगा के आग गए आग बुझाने वाले
थी आरजू कि कभी हम भी पार उतरेंगे
डुबो के नाव गए पार लगाने वाले
खुलेगा राज भला किस तरह से कातिल का
पड़े सुकूं से सभी जान गंवाने वाले
कोई तो बात उठे दूर तलक जो जाए
यहाँ जमा हैं फ़क़त शोर मचाने वाले
(हिन्दुस्तान दैनिक में प्रकाशित)
-वीरेन्द्र वत्स
लगा के आग गए आग बुझाने वाले
थी आरजू कि कभी हम भी पार उतरेंगे
डुबो के नाव गए पार लगाने वाले
खुलेगा राज भला किस तरह से कातिल का
पड़े सुकूं से सभी जान गंवाने वाले
कोई तो बात उठे दूर तलक जो जाए
यहाँ जमा हैं फ़क़त शोर मचाने वाले
(हिन्दुस्तान दैनिक में प्रकाशित)
-वीरेन्द्र वत्स
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