वीरेन्द्र वत्स के दोहे
झूठे झगड़े छोड़कर, चलो बढाएं ज्ञान।
मुसलमान गीता पढ़े, हिन्दू पढ़े कुरान॥
इतना प्यारा देश है इतने प्यारे लोग।
इसे कहाँ से लग गया बँटवारे का रोग॥
जाति-धर्म भाषा-दिशा प्रांतवाद की मार।
टुकड़ा-टुकड़ा देश है, कौन लगाये पार॥
कोई भूखा मर रहा कोई काटे माल।
लोकतंत्र ही बन गया लोकतंत्र का काल॥
अरबों के मालिक हुए कल तक थे दरवेश।
नेता दोनों हाथ से लूट रहे हैं देश॥
बारी-बारी लुट रही जनता है मजबूर।
नेता हैं गोरी यहाँ, नेता हैं तैमूर॥
पटा लिया परधान को, दिए करारे नोट।
पन्नी बांटी गाँव में पलट गए सब वोट॥
( युग तेवर में प्रकाशित )
मुसलमान गीता पढ़े, हिन्दू पढ़े कुरान॥
इतना प्यारा देश है इतने प्यारे लोग।
इसे कहाँ से लग गया बँटवारे का रोग॥
जाति-धर्म भाषा-दिशा प्रांतवाद की मार।
टुकड़ा-टुकड़ा देश है, कौन लगाये पार॥
कोई भूखा मर रहा कोई काटे माल।
लोकतंत्र ही बन गया लोकतंत्र का काल॥
अरबों के मालिक हुए कल तक थे दरवेश।
नेता दोनों हाथ से लूट रहे हैं देश॥
बारी-बारी लुट रही जनता है मजबूर।
नेता हैं गोरी यहाँ, नेता हैं तैमूर॥
पटा लिया परधान को, दिए करारे नोट।
पन्नी बांटी गाँव में पलट गए सब वोट॥
( युग तेवर में प्रकाशित )
टिप्पणियाँ
अच्छी कविता ..!!
badhaai !