इश्क साया है

...इश्क साया है आदमी के लिए

दिल लगाना न दिल्लगी के के लिए,
ये इबादत है ज़िन्दगी के लिए.

इश्क दाना है, इश्क पानी है,
इश्क साया है आदमी के लिए.

ये किसी एक का नहीं यारो,
ये इनायत है हर किसी के लिए.

मेरा हर लफ्ज़ है अमन के लिए,
मेरी हर साँस बंदगी के लिए,

मैं हवा के खिलाफ चलता हूँ,
सिर्फ इंसान की खुशी के लिए.

वीरेन्द्र वत्स

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