मैं भारतीय
मैं धधकती आग हूँ
मैं बरसता राग हूँ
ध्वंस हूँ निर्माण हूँ मैं
प्रेम हूँ बैराग हूँ
मैं मधुर मधुमास हूँ
धड़कनों की आस हूँ
जो हृदय की पीर हर ले
वह अटल विश्वास हूँ
मैं बिरह की बात हूँ
मैं मिलन की रात हूँ
स्वप्न को जो सच बना दे
मैं वही सौगात हूँ
मैं धरा की आन हूँ
ज्ञान हूँ विज्ञान हूँ
विश्व का कल्याण जिसमें
वह सतत संधान हूँ
भारती का लाल हूँ
मित्रता की ढाल हूँ
विकट हूँ विकराल हूँ मैं
शत्रुओं का काल हूँ
-वीरेन्द्र वत्स
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