तू जीत के लिए बना

 

प्रचंड अग्निज्वाल हो

अपार शैलमाल हो

तू डर नहीं सिहर नहीं

तू राह में ठहर नहीं


ललाट यह रहे तना

तू जीत के लिए बना

तू जोश से भुजा चढ़ा

तू होश से कदम बढ़ा


गगन-गगन में गांव हो

शिखर-शिखर पे पांव हो

तू आँधियों से खेल कर

तू बिजलियों से मेल कर


तू कालचक्र तोड़ दे

तू रुख समय का मोड़ दे

अजेय क्रांतिवीर तू

अजेय शान्तिवीर तू


 -वीरेन्द्र वत्स

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