...समझो अपनी ताक़त भाई!!!
लोकतंत्र में असली शक्ति जनता में होती है. लेकिन नेता व अफसर इस शक्ति का अपहरण कर ऐश करते हैं और जनता मुसीबतों में फंसी कराहती रहती है. जनता अगर अपनी शक्ति पहचान ले तो स्थितियां बदल सकती हैं.
सब राजा हैं एक समान,
सबकी है तोते में जान.
तोता कुछ भी समझ न पाता,
बिहग योनि पाकर पछताता.
खेल-खेल में बटन दबाता,
राज मिटाता राज बनाता.
राजा ने इसको भरमाया,
त्याग-तोष का पाठ पढ़ाया.
तोता बना तभी से जोगी,
राज चलाते टुच्चे-ढोंगी.
चलो हकीक़त इसे बताएं,
चलो नींद से इसे जगाएं.
उठो-उठो अब जागो-जागो,
खुला द्वार पिंजरे से भागो.
किसने तुमको भांग पिलाई?
समझो अपनी ताक़त भाई!!!
(युग तेवर में प्रकाशित)
-वीरेन्द्र वत्स
सब राजा हैं एक समान,
सबकी है तोते में जान.
तोता कुछ भी समझ न पाता,
बिहग योनि पाकर पछताता.
खेल-खेल में बटन दबाता,
राज मिटाता राज बनाता.
राजा ने इसको भरमाया,
त्याग-तोष का पाठ पढ़ाया.
तोता बना तभी से जोगी,
राज चलाते टुच्चे-ढोंगी.
चलो हकीक़त इसे बताएं,
चलो नींद से इसे जगाएं.
उठो-उठो अब जागो-जागो,
खुला द्वार पिंजरे से भागो.
किसने तुमको भांग पिलाई?
समझो अपनी ताक़त भाई!!!
(युग तेवर में प्रकाशित)
-वीरेन्द्र वत्स
टिप्पणियाँ
haan
किसने तुमको भांग पिलाई?
समझो अपनी ताक़त भाई!!
taaqat to samajhni hi padegi........
mujhe veer raas ki pasand hai agar aap ek vesi likh pai to padhne me aur maza aaiga.....
मंझे हुए लेखक हैं आप
सुंदर रचना
जय हो ...
durbagya hai ki aaj bhi hame apni takat ka bhan kavitaon ke madhyam se hota hai.
satya .
समझो अपनी ताक़त भाई!!!
बहुत सही लिखा है आपने, और अगर देखा तो हमारी कमजोरी भी रही है। हम हमेशा दूसरो के कहने पर ही जाग पाते है।
राज मिटाता राज बनाता.
खुला द्वार पिंजरे से भागो.
खुला द्वार पिंजरे से भागो.
.....
prernadayak line hai.
समझो अपनी ताक़त भाई
sunder rachna.