ज़ंग करते हुए नगमात...
ये उबलते हुए जज्बात कहाँ ले जाएँ
ज़ंग करते हुए नगमात कहाँ ले जाएँ
रोज़ आते हैं नए सब्जबाग आंखों में
ये सियासत के तिलिस्मात कहाँ ले जाएँ
अमीर मुल्क की मुफलिस जमात से पूछो
उसके हिस्से की घनी रात कहाँ ले जाएँ
हम गुनहगार हैं हमने तुम्हें चुना रहबर
अब जमाने के सवालात कहाँ ले जाएँ
सारी दुनिया के लिए मांग लें दुआ लेकिन
घर के उलझे हुए हालात कहाँ ले जाएँ
( युग तेवर में प्रकाशित )
-वीरेन्द्र वत्स
ज़ंग करते हुए नगमात कहाँ ले जाएँ
रोज़ आते हैं नए सब्जबाग आंखों में
ये सियासत के तिलिस्मात कहाँ ले जाएँ
अमीर मुल्क की मुफलिस जमात से पूछो
उसके हिस्से की घनी रात कहाँ ले जाएँ
हम गुनहगार हैं हमने तुम्हें चुना रहबर
अब जमाने के सवालात कहाँ ले जाएँ
सारी दुनिया के लिए मांग लें दुआ लेकिन
घर के उलझे हुए हालात कहाँ ले जाएँ
( युग तेवर में प्रकाशित )
-वीरेन्द्र वत्स
टिप्पणियाँ
सारी दुनिया के लिए मांग लें दुआ लेकिन
घर के उलझे हुए हालात कहाँ ले जाएँ
badhai.
badhai.
दिल जीत आपने महोदय |
कोटिशः साधुवाद एवं हार्दिक बधाई |
जय हो ...