...हर लहर किनारा है
दिल जरा संभल जाओ वक़्त का इशारा है
आशिकी का मौसम है इश्क का नज़ारा है
भीनी-भीनी खामोशी, मीठी-मीठी तन्हाई
बज्म में जिसे देखो बेखुदी का मारा है
हुस्न की नुमाइश है इसलिए सितारों ने
बेलिबास चंदा को झील में उतारा है
फैसला करें कैसे कौन किसपे भारी है
वो जिसे मोहब्बत ने दर्द से निखारा है
जिस हसीन लम्हे का इंतज़ार था हमको
आज वो हसीं लम्हा खुद ब खुद हमारा है
क्या हुआ अगर हमको तैरना नहीं आता
प्यार के समंदर में हर लहर किनारा है
(हिन्दुस्तान में प्रकाशित)
-वीरेन्द्र वत्स
आशिकी का मौसम है इश्क का नज़ारा है
भीनी-भीनी खामोशी, मीठी-मीठी तन्हाई
बज्म में जिसे देखो बेखुदी का मारा है
हुस्न की नुमाइश है इसलिए सितारों ने
बेलिबास चंदा को झील में उतारा है
फैसला करें कैसे कौन किसपे भारी है
वो जिसे मोहब्बत ने दर्द से निखारा है
जिस हसीन लम्हे का इंतज़ार था हमको
आज वो हसीं लम्हा खुद ब खुद हमारा है
क्या हुआ अगर हमको तैरना नहीं आता
प्यार के समंदर में हर लहर किनारा है
(हिन्दुस्तान में प्रकाशित)
-वीरेन्द्र वत्स
टिप्पणियाँ
वो जिसे मोहब्बत ने दर्द से निखारा है
bahut umda vats jee.
shabdon ka abhav hain.
satya vyas ..
क्या बात है, लाजवाब। बहुत ही सुन्दर रचना। बधाई
प्यार के समंदर में हर लहर किनारा है
बहुत सुन्दर रचना ..शुभकामनायें ..!!
क्या हुआ अगर हमको तैरना नहीं आता
प्यार के समंदर में हर लहर किनारा है
kamaal ka sher, kamaal ka bhav sanyojan. bahut bahut badhai.
प्यार के समंदर में हर लहर किनारा है ।
बहुत सुन्दर । बहुत हीं उम्दा रचना । शुभकामनायें ।
dhanya wad-
satya vyas