नया वर्ष नई मंजिलें
चलें आप सूरज के रथ पर
बनें उजाले के प्रतिमान;
घर-आँगन खुशियों से भर दे
नए वर्ष का स्वर्ण विहान.
नए साल में नई मंजिलें
कदम आपके चूमें,
भाग्य-लक्ष्मी की बाहों में
आप खुशी से झूमें.
-वीरेन्द्र वत्स
बनें उजाले के प्रतिमान;
घर-आँगन खुशियों से भर दे
नए वर्ष का स्वर्ण विहान.
नए साल में नई मंजिलें
कदम आपके चूमें,
भाग्य-लक्ष्मी की बाहों में
आप खुशी से झूमें.
-वीरेन्द्र वत्स
टिप्पणियाँ
सुख आये जन के जीवन मे यत्न विधायक हो
सब के हित मे बन्धु! वर्ष यह मंगलदयक हो.
(अजीत जोगी की कविता के अंश)