...सुन सको तो सुनो
इश्क का दर्द जाम के किस्से वो ग़ज़ल है गए ज़माने की
वत्स आवाज़ आम जनता की, बात उसकी नए ज़माने की
... ... ...
ये दास्ताने बगावत है सुन सको तो सुनो
तुम्हीं से उनकी अदावत है सुन सको तो सुनो
सियाह रात में सपने जवां हुए उनके
तुम्हें तो जश्न की आदत है सुन सको तो सुनो
जला है गाँव जले साथ अनछुए अरमां
पता है किसकी शरारत है सुन सको तो सुनो
लुटे-पिटे हैं मगर हौसले उबलते हैं
दिलों में आग सलामत है सुन सको तो सुनो
ये बाढ़ खुद ही नए रास्ते बना लेगी
तुम्हारे सर पे कयामत है सुन सको तो सुनो
मनाओ खैर अभी और कुछ नहीं बिगड़ा
उठा लो जो भी शिकायत है सुन सको तो सुनो
-वीरेन्द्र वत्स
(युग तेवर में प्रकाशित)
वत्स आवाज़ आम जनता की, बात उसकी नए ज़माने की
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ये दास्ताने बगावत है सुन सको तो सुनो
तुम्हीं से उनकी अदावत है सुन सको तो सुनो
सियाह रात में सपने जवां हुए उनके
तुम्हें तो जश्न की आदत है सुन सको तो सुनो
जला है गाँव जले साथ अनछुए अरमां
पता है किसकी शरारत है सुन सको तो सुनो
लुटे-पिटे हैं मगर हौसले उबलते हैं
दिलों में आग सलामत है सुन सको तो सुनो
ये बाढ़ खुद ही नए रास्ते बना लेगी
तुम्हारे सर पे कयामत है सुन सको तो सुनो
मनाओ खैर अभी और कुछ नहीं बिगड़ा
उठा लो जो भी शिकायत है सुन सको तो सुनो
-वीरेन्द्र वत्स
(युग तेवर में प्रकाशित)
टिप्पणियाँ
उठा लो जो भी शिकायत है सुन सको तो सुनो
...... kabile tareef.
kya khoob likha hai.
पता है किसकी शरारत है सुन सको तो सुनो
sunder rachana
पता है किसकी शरारत है सुन सको तो सुनो
sunder rachana